आतंकियों के निशाने पर रहे हैं वरिष्ठ सैन्य अफसर 

श्रीनगर

प्रतीकात्मक तस्वीर
कश्मीर घाटी में सेना के वरिष्ठ अधिकारी आतंकियों के निशाने पर रहे हैं। रविवार को 21 आरआर के कमांडिंग अफसर कर्नल आशुतोष शर्मा आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हो गए। इससे पहले वर्ष 2015 में कुपवाड़ा में ही 41 आरआर के सीओ संतोष महादिक शहीद हुए थे। वर्ष 2015 में ही 42 आरआर के कर्नल एमएम राय पुलवामा जिले के त्राल में आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान शहीद हुए थे।

जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद से जंग में 21 राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर) का दो दशकों में कर्तव्य के निर्वहन में शानदार रिकार्ड रहा है। दो दशक में 21 आरआर ने रविवार को कर्तव्य निर्वहन के दौरान दूसरा कमांडिंग अफसर (सीओ) खो दिया। दो बार सेना पदक से सम्मानित कर्नल आशुतोष शर्मा ने शनिवार-रविवार की दरमियानी रात बंधक बनाए गए लोगों को मुक्त कराने के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया।
ब्रिगेड ऑफ गार्ड्स से अधिकारियों और जवानों को शामिल कर 21 आरआर को आतंकवादियों को मार गिराने का तिहरा शतक लगाने का गौरव हासिल है। बटालियन ने पहला कमांडिंग अफसर कर्नल राजिंदर चौहान के रूप में 21 अगस्त 2000 को खोया था। कर्नल चौहान वर्ष 2000 में उस वक्त शहीद हुए थे, जब वह ब्रिगेडियर बीएस शेरगिल के साथ अपने इलाके में गश्त पर थे।
आतंकवादियों ने जाचलदारा गांव के पास आईईडी में रिमोट कंट्रोल से विस्फोट किया जिससे उनके वाहन के परखच्चे उड़ गए थे। दोनों अधिकारी मौके पर ही शहीद हो गए जबकि सेना के पांच अन्य जवान घायल हुए थे। कर्नल चौहान को भी सेना पदक से सम्मानित किया गया था, जिन्होंने 20 साल से अधिक समय तक राष्ट्र की सेवा की। वह 21वीं राष्ट्रीय राइफल्स के तीसरे सीओ थे।

एक महीने में सेना को दूसरा बड़ा नुकसान
एक महीने में सेना को यह दूसरा बड़ा नुकसान पहुंचा है। 6 अप्रैल को कुपवाड़ा में आतंकियों से मुठभेड़ में सेना के पांच जवान शहीद हो गए थे।
2015 में 42 आरआर के सीओ कर्नल एमएम राय पुलवामा के त्राल में शहीद हुए। उसी वर्ष कुपवाड़ा जिले में 41 आरआर के सीओ कर्नल संतोष महादिक शहीद हुए थे।

5 साल बाद आतंकी मुठभेड़ में कमांडिंग ऑफिसर शहीद
27 जनवरी 2015 को 42 राष्ट्रीय राइफल्स के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल एमएन राय कश्मीर के त्राल में मुठभेड़ के दौरान शहीद हुए थे। उन्हें मरणोपरांत शौर्य चक्र दिया गया था। तब उनकी 11 साल की बेटी ने उन्हें सलामी देते हुए गोरखा रेजिमेंट का जयघोष किया था तो लोग आंसू नहीं रोक पाए थे।

जवानों का साथ पसंद था कर्नल को
जम्मू-कश्मीर के पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने कहा कि कर्नल शर्मा और उनकी टीम ने बंधकों को बहादुरी से मुक्त कराया। कर्नल शर्मा को सहयोगी सबसे खुशमिजाज अधिकारी के रूप में याद करते हैं, जो अपने जवानों के साथ वक्त बिताना पसंद करते थे।

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